स्वस्तिकासन कैसे करें ? स्वस्तिकासन के लाभ क्या-क्या हैं ?
■ स्वस्तिकासन :-
स्थिति:- स्वच्छ कम्बल या वस्त्र पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिनी जंघा और पिंडली के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाए तत्पश्चात दाहिने पैर के पंजे और तल की बाएं पैर के नीचे से जाँघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिक आसान बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ सीधी कर स्वांस खींचकर यथा सक्ति रोकें। इस प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
लाभ :- 1.पैरों का दर्द ,पसीना आना ,दूर होता है।
2.पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है ।ध्यान हेतु
श्रेष्ठ आसन है ।
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स्वस्तिकासन
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